Ad

कीटनाशक दवाएं

कीटनाशक दवाएं महंगी, मजबूरी में वाशिंग पाउडर छिड़काव कर रहे किसान

कीटनाशक दवाएं महंगी, मजबूरी में वाशिंग पाउडर छिड़काव कर रहे किसान

नौहझील। बढ़ती महंगाई का असर अब कीटनाशक दवाओं पर भी दिखाई देने लगा है। कीटनाशक दवाओं पर म्हंगैबक चलते किसान वाशिंग पाउडर का घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करने को मजबूर हैं। इन दिनों मूंग और उड़द की फसल लहलहा रही है। लेकिन कीट-पतंगे फसल को बर्बाद कर रहे हैं। कीड़े और गिडार फसल को खा रहीं हैं। कीटनाशक दवाओं मूल्यों पर अचानक हुई वृद्धि से किसान परेशान हैं। मजबूरन किसान कीटनाशक की जगह पानी में वाशिंग पाउडर का घोल बनाकर मूंग व उड़द की फसल पर छिड़काव कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: आईपीएफटी ने बीज वाले मसाले की फसलों में ​कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों के सुरक्षित विकल्प के रूप में जैव-कीटनाशक विकसित किया

गांव हसनपुर निवासी किसान ललित चौधरी व दीपू फौजदार बताते हैं कि उन्होंने अपने खेत में मूंग कि उड़द की फसल बो रखी है। फसल को कीड़े व गिडार कहा रहे हैं। कीटनाशक दवाओं के रेट अचानक बढ जाने के कारण पानी में वाशिंग पाउडर का घोल बनाकर छिड़काव कर रहे हैं। हालांकि इसका असर कम ही दिखाई दे रहा है।

क्या कहते हैं दुकानदार

- विकास कीटनाशक भंडार कोलाहर के दुकानदार मनोज चौधरी ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कीटनाशक दवाओं के रेट महंगे हुए हैं। बीते दो महीने में कीटनाशक दवाओं के रेट दोगुने तक हो गए हैं। "मौसम काफी गर्म है ऐसे में फसल पर वाशिंग पाउडर के घोल का छिड़काव फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है। किसानों को कोराजिन व मार्शल लिक्विड का छिड़काव करना चाहिए। जो सस्ता व कारगर साबित होगा।" - एसडीओ कृषि, सुबोध कुमार सिंह

ये भी पढ़ें: कीटनाशक के नुकसान पर मिलेगा किसान को मुआबजा

इन गांवों के किसान हैं प्रभावित

- हसनपुर, ईखू, मसंदगढ़ी, पालखेड़ा, रायकरनगढ़ी, भूरेखा, मरहला, नावली, सामंतागढ़ी सहित कई गांवों के किसानों की फसल कीट-पतंगों से प्रभावित हो रहीं हैं।

तीन महीने पहले की कीमत :

- एक्सल की मीरा 71 100 ML की कीमत 60 रुपए थी, जो अब 130 रुपए है। - नागार्जुना 65 रुपए कीमत थी जो अब 125 रुपए हो गई है एक एकड़ में 60 एमएल कोराजिन दवा का छिड़काव होता है। जिसकी कीमत 850 रुपए है। ------ लोकेन्द्र नरवार

कीटनाशक दवाएं बेचने वाले विक्रेता सावधान हो जाएं नहीं तो बंद करनी पड़ सकती है दुकान

कीटनाशक दवाएं बेचने वाले विक्रेता सावधान हो जाएं नहीं तो बंद करनी पड़ सकती है दुकान

अगर आप अपने लिए दवाई लेने किसी भी मेडिकल स्टोर पर जाते हैं, तो वहां पर दवाई बेचने के लिए मेडिकल स्टोर के पास लाइसेंस होना बेहद जरूरी है। यह लाइसेंस फार्मेसी की डिग्री या डिप्लोमा के होने पर ही बनाया जा सकता है। अगर कोई भी स्टोर बिना लाइसेंस के दवाइयां बेच रहा है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन ऐसा ही प्रावधान कीटनाशक दवाइयों के लिए नहीं है। लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार इसके खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। सख्ती का पालन न करने वाले कीटनाशक दुकान संचालकों के खिलाफ प्रदेश का एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट कार्यवाही करेगा।

उत्तर प्रदेश में कीटनाशक बेचने के लिए डिग्री, डिप्लोमा होना जरूरी

बहुत समय से उत्तर प्रदेश सरकार के बाद किसानों की शिकायतें आ रही थी, कि कीटनाशक दवाई बेचने वाले लोगों के पास उस दवाई के बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं होती है। यह विक्रेता किसानों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाते हैं और उन्हें कभी कभी इस तरह की दवाइयां दे दी जाती हैं। जो उनकी फसलों के अनुसार सही नहीं होती हैं। इस तरह से दी गई दवाइयां फसलों को लाभ पहुंचाने की बजाय बहुत ज्यादा नुकसान करवा देती हैं। इसी को लेकर अब प्रदेश सरकार की ओर से निर्देश जारी किए हैं, कि सभी कीटनाशक दुकान संचालकों के पास संबंधित डिग्री या डिप्लोमा होना अत्यंत आवश्यक है।


ये भी पढ़ें:
कीटनाशक दवाएं महंगी, मजबूरी में वाशिंग पाउडर छिड़काव कर रहे किसान

31 दिसंबर है डिग्री जमा करवाने की अंतिम तारीख

उत्तर प्रदेश के औरैया एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने इस संबंध में जिले के सभी कीटनाशक दवा विक्रेताओं को निर्देश जारी किए हैं। अगर मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ऐसा कहा जा रहा है, कि कीटनाशक दवाइयां बेचने के लिए केवल डिग्री या फिर डिप्लोमा धारी लोग ही नियुक्त किए जाएंगे। कोई भी विक्रेता जो कीटनाशक दवाइयां बेच रहा है, वह 31 दिसंबर तक अपनी यह डिग्री या डिप्लोमा जमा करवा सकता है। अगर 31 दिसंबर तक विक्रेता ने अपनी डिग्री या डिप्लोमा जमा नहीं करवायी तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी एवं साथ ही दुकान खोलने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।

ये डिग्री, डिप्लोमा है जरूरी

विक्रेताओं के पास किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या संस्थान से कृषि विभाग, जैव रसायन, जैव प्रौद्योगिकी की स्नातक डिग्री हो। इसके अलावा कृषि बागवानी का 1 वर्षीय डिप्लोमा से भी दवा बेच सकते हैं। विभाग के स्तर से इस संबंध में दवा विक्रेताओं को 12 दिन का ट्रेनिंग दी जा रही है, संचालक ट्रेनिंग में दवाओं के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा विक्रेता को दवाइयों के बारे में भी सभी जानकारी होने की जरूरत है। अगर उनके द्वारा किसी भी तरह की गलत दवाई बेची गई तो उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है।